• सहकारी आन्दोलन का विकास करना उसे मजबूत बनाना और उसकी अभिरक्षा करना, सहकारिता को इसके विभिन्न रूपों में सुसंगठित करना और उसकी समुन्नति करना, सहकारी नीति सम्बन्धी विषयों में सहकारी विभाग को सुझाव देना।
  • यूनियन की गतिविधियों का (अ) भारत या भारेत्तर ऐसे सहकारी संगठनों के साथ तथा (ब) किसी राज्य या केन्द्रीय सरकार के ऐसे विभागों के साथ सम्पदीकरण स्थापित करना जिनके उद्देश्य पूर्णतः या आंशिक रूप से यूनियन के उद्देष्यों के समान हो।
  • सामान्य प्रयासों की सफलता हेतु राज्य भर की सहकारी संस्थाओं को एक दूसरे के निकट सम्पर्क में लाना ओर उनके मध्य सामुदायिक लाभ की भावना उत्पन्न करना।
  • सहकारी सिद्धांतो एवं प्रयोगों का प्रसार करने तथा उन्हें लोकप्रिय बनाने हेतु आवश्यक कदम उठाना और इसके लिए मुद्रणालय (छापेखाने) तथा एक पुस्तकालय का निर्माण करना।
  • सहकारिता तथा ग्राम्य विकास तथा उनसे सम्बन्धित विषयों पर समाचार पत्रों एवं अन्य साहित्य का प्रकाशन करने और सहकारिता एवं उसके सहयोगी विषयों से सम्बन्धित दृष्य श्राव्य साधनों के उत्पादन की व्यवस्था करना ओर सहकारी प्रचार वाहनों के रख-रखाव की व्यवस्था करना और स्वंय उनको रखना और खर्च करना।
  • सहकारी समितियों के वेैतनिक एवं अवैतनिक कार्य-कर्ताओं तथा निबन्धक की अनुमति से अन्य सम्बन्धित गैर सहकारी संस्थाओं के कर्मचारियों यदि संभव हो तो प्रषिक्षण सुविधा प्रदान करना इस प्रयोजन हेतु सहकारी प्रषिक्षण केन्द्रों का धारण संचालन, प्रकाशन एवं नियन्त्रण करना, पाठ्क्रम तैयार करना, परीक्षा लेना एवं प्रमाण पत्र देना।
  • सहकारी समितियों के सदस्यों, सम्भावित सदस्यों, पदाधिकारियों, कर्मचारियों एंवं युवकों व महिलाओं को तथा विद्यालयों एवं संगठनों में सहकारी दर्षन सिद्धान्त एवं व्यवहार की शिक्षा की व्यवस्था हेतु सहकारी शिक्षा कार्यक्रम का कार्यान्वयन करना।
  • इस प्रयोजन हेतु सचल इकाईयों की स्थापना, संचालन एवं प्रकाशन करना।
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